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मिस्र में महिला प्रदर्शनकारियों के कौमार्य की जांच

Priya Esselborn३१ मई २०११

मिस्र में एक वरिष्ठ जनरल ने स्वीकार किया है कि मार्च के महीने में प्रदर्शनों के दौरान गिरफ्तार की गई महिलाओं के कौमार्य की जांच की गई थी. अब तक सैनिक अधिकारी इन आरोपों को ठुकरा रहे थे.

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तस्वीर: dapd

9 मार्च को काहिरा के तहरीर स्क्वायर में प्रदर्शन को बलपूर्वक तितरबितर करते समय सेना ने दर्जनों महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया था. एक महिला प्रदर्शनकारी ने बाद में आरोप लगाया था कि एक सैनिक जेल में उनकी कौमार्य जांच से पहले कैमरा के सामने उनके कपड़े उतार लिए गए थे. उनका दावा था कि कुमारी न होने वाली महिलाओं पर वेश्यावृत्ति का आरोप लगाया गया.

अपना नाम न बताने की शर्त पर एक वरिष्ठ जनरल ने अब स्वीकार किया है कि ऐसी कौमार्य जांच हुई थी और उन्होंने इन्हें उचित ठहराया. जनरल का कहना था कि वे नहीं चाहते थे कि उन पर बलात्कार के आरोप लगाए जाएं. इसलिए वे शुरू में ही निश्चित कर लेना चाहते थे कि ये महिलाएं कुमारी नहीं थी. जनरल ने कहा, "कोई भी कुमारी नहीं निकली."

हिंसा और यातना के पीड़ितों के पुनर्वास केंद्र के एक बयान में कहा गया है, "शुरू में इनकार करते हुए और यह आरोप लगाते हुए कि हम झूठ बोल रहे हैं व जनता और सेना के बीच खाई तैयार कर रहे हैं, अब उन्होंने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है."

महिला अधिकारों के लिए इजिप्शियन सेंटर की प्रधान नेहद अबुल कोमसान ने सेना से मांग की है कि जनरल के इस वक्तव्य की जांच की जाए. उन्होंने कहा कि कई आरोप दर्ज कराए गए हैं और वे प्रदर्शनकारियों की पैरवी के लिए सामने आएंगे.

आम तौर पर माना जाता है कि सेना ने पूर्व राष्ट्रपति होसनी मुबारक का तख्ता पलटने के लिए 25 जनवरी क्रांति का समर्थन किया था. लेकिन बाद में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बलप्रयोग के लिए उसकी आलोचना भी हुई है.

रिपोर्ट एजेंसियांउभ

संपादनः एमजी

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